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वार्षिक लेखन प्रतियोगिता योग और हमारा स्वास्थ्य

योग और हमारा स्वास्थ्य का संबंध।


निःशुल्क निःशुल्क निःशुल्क..


हमारे मुहल्ले के पास के पार्क में योगा की निःशुल्क क्लास खुल  रही हैं कृपया सभी आएं और इसका फायदा उठाएं। 


जिंदगी की भाग दौड़ में हमारे पास इतना टाइम नहीं है कि योगा में आए और फालतू का समय बर्बाद करें।


यह समय बर्बाद ही नहीं आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। इसकी संपूर्ण जानकारी के लिए एक बार जरूर पधारें। हमारे योगाचार्य जी,आपको इस बारे में महत्वपूर्ण सूचना देंगे। संपूर्ण जानकारी के साथ। जब आपको इसके फायदे और नुकसान जानेंगे तो आप स्वयं अपने प्रति सजग होंगे।


हां हां इस क्लास में जरूर आएंगे।  आखिर पता तो चले,कि योगा क्या चीज है। किस प्रकार हमारे लिए स्वास्थ्य कारक है।

सभी लोग सुबह सुबह स्नान कर पार्क मे पहुंच गए। और योगाचार्य जी द्वारा उन्होंने इस प्रकार जानकारी प्राप्त की...


योग हमारे जीवन का अहम हिस्सा है।योग मतलब है जोड़ ।जब हमारे शरीर के दो हिस्सो को आपस में जोड़ते हैं ।तो उसको योग कहते हैं।

 हमारे शरीर की समस्त मांसपेशियां, शरीर का प्रत्येक अंग, योग से प्रभावित होता है। योग का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।


योग को तीन चरणों में बांटा गया है शारीरिक योग, प्राणायाम योग, ध्यान योग।


शारीरिक  योग करने से हमारे शरीर की समस्त मांसपेशियां प्रभावित होती हैं।  जिससे हमारा शरीर  फुर्तीमान बनता है  और ऊर्जा ग्रहण करता है। शरीर की काम करने की शक्ति बढ़ती है। शरीर में थकावट नहीं होती। समस्त मांस पेशियां खुल  जाती हैं। जिससे शरीर में अकड़न पैदा नहीं होती ,शरीर में ब्लड सरकुलेशन अच्छे से  रहता है। जिसके कारण शरीर का कोई भी अंग दर्द नहीं करता।


बीपी ,शुगर ,जोड़ों के दर्द और अन्य बीमारियां योगा करने से समय के साथ ठीक होती हैं। किसी भी उम्र में चाहे बच्चा हो या बुढा इसको अपना सकता है। और योग अपनाकर जीवन सफल बना सकता है।

 रोग मुक्ति कर अपने शरीर को निरोग बना सकता है। 


योग ठीक प्रकार से करना चाहिए। नहीं तो इससे नुकसान भी हो सकते हैं ।किसी योगाचार्य की देखरेख में ही योग सीखकर योग को अपनाना चाहिए। अपनी मर्जी से कोई भी अंग में खिंचाव नहीं लाना चाहिए। नहीं तो योग के गलत प्रभाव भी पड़ सकता है। कोई भी नस दब सकती है।मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है ।इसलिए जब भी योग करें योगाचार्य की देखभाल में करें और उनसे सीख लेने के बाद ही स्वयं अपनाएं। जब योग की शुरुआत करते हैं।  तो शरीर में कुछ दिनों तक दर्द महसूस हो सकता है। लेकिन उसके बाद शरीर में उर्जा एकत्रित होने लगती है। और सारा दर्द समाप्त होकर हमारा शरीर शक्तिशाली बनता है। हमारे कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। 


योग में अपने खान -पान का भी ध्यान रखना चाहिए।  तभी  योग का उत्तम लाभ हमें प्राप्त होगा। 

कहावत भी है "जैसा खाओगे अन्न,वैसा होगा मन "इसलिए अपने खाने-पीने का भी ध्यान रखना चाहिए । संतुलित आहार भी योग का हिस्सा है।


इसका दूसरा चरण है प्राणायाम।


प्राणायाम सांसो के द्वारा किया जाता है ।अपनी सांसो को छोड़ना और नियंत्रण करना सिखाया जाता है। किस प्रकार हम अपनी सांसो को शरीर के 7 चक्रों में प्रवाहित करते हैं । प्रत्येक चरण में अपनी सांसों को ले जाना और छोड़ना ही सिखाया जाता है । प्राणायाम करने से हमारी रक्त की शुद्धि होती है।  फेफड़ों की शुद्धि होती है। जिससे हमारी प्राण वायु की रक्षा होती है ।और वायु से होने वाले प्रत्येक रोग में हमें लाभ प्राप्त होता है। प्रणायाम करने से हमें मानसिक शांति प्राप्त होती है।  जिससे हमारी याददाश्त करने की क्षमता बढ़ती है और मानसिक समस्याएं दूर होती हैं। प्रणायाम करने से हमारी ध्यान की शक्ति बढ़ती है। प्राणायाम करने के बाद ही हमें शांतिपूर्वक ध्यान लगाना चाहिए ।


योग का तीसरा चरण में ध्यान लगाना।

ध्यान रखने से हमें अंदरूनी शांति प्राप्त होती है प्रभु के समीप जाने का उत्तम मार्ग पता चलता है। जिससे हमारे विचारों में जो उथल-पुथल होती है वह समाप्त होती है। और मन की शांति का उत्तम मार्ग ध्यान है। मन की हलचल को नियंत्रित करना, ध्यान की एक क्रिया है। ध्यान हमारी मानसिक जटिलताओं को दूर करता है और हमें अंदरूनी प्रफुल्लित करता है। ध्यान करने से व्यक्ति स्वयं अपने आप से परिचित होता है। अपना आत्म ज्ञान प्राप्त करता है।


अष्टांग योग हमारे योग का सबसे उत्तम चरण है जब योग के प्रारंभिक चरणों को प्राप्त करने के बाद ही इस योग की शुरुआत होती है। 


शुद्धि किर्याए..

आँखो की,नाक की ,गले की, पेट की सभी बीमारियो के लिए लाभदायक होती है।इनमे प्रमुख है कुंजल, बस्ती, रबड़ नेति ,और शंख प्रक्षालन।



योग हमारे जीवन में वैदिक पौराणिक है।  हमारे साधु-संतों ने इसका निर्माण किया था ।पतंजलि युगपुरुष ने इसका पुनः व्यवहार  मे लाकर सबको लाभ प्राप्त कराया। सबसे पुराना योग संस्थान भारतीय योग संस्थान भी इसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सभी जगह अपनी निशुल्क क्लास  चला कर भारत में योग की महिमा का बखान कर उसकी महत्ता को बतलाता है। 21 जून योग दिवस के रूप में मनाया जाता है यह भारत की देन है। इसका अस्तित्व भारत में से ही शुरू हुआ।


शरीर से थकावट मिटें। 

भरपूर आक्सीजन मिलें। 

स्वस्थ तन - स्वस्थ मन।

आत्म -साक्षात्कार। 

अपने आप से प्यार। 

दुःख हो दरकिनार। 

मन हो प्रफ्फुलित। 

अन्दरूनी -पल्लवित। 

यदि करना है सबको। 

एक है संजीवनी। 

योग - योगासन।


इसलिए जो को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें। योगा को कोशिश करें, खुले वातावरण में करें और इसका लाभ उठाएं। 1 घंटे का व्यायाम  करने से हमारा पूरा दिन ओजपूर्ण बना रहता है।


सभी लोग के बारे में जानकारी अति उत्साहित हुए योग हमारे जीवन में किस प्रकार सम्मिलित है यह जानकर सभी योगा करने के लिए तैयार हो गये।





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